balaji mandir:
नाशिक रोड के गन्धर्वनगरी में बालाजी का एक बहुत ही भव्य मंदिर बनाया गया है जो की शिकडेवाड़ी मैदान के प्रतिबलाजी के रूप में स्थापित किया गया है और अभी इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जो की 23 अप्रैल 2024 से 26 अप्रैल 2024 तक चलेगा । ये ही वो मंदिर है जिसका सपना गन्धर्वनगरी में रहने वाले सबके अन्ना यानि कैलाश मुदलियार ने देखा था । ये मंदिर 2010 में बन चूका था परन्तु ये मंदिर फिर से बनाया गया है । आज इस आर्टिकल में हम ये जानेंगे की ऐसा क्या हुआ जो ये मंदिर दोबारा बनाना पड़ा । और कैलाश मुदलियार इस मन्दिर से इतना भावनात्मक रूप से क्यों जुड़े हुए है । चलिए हम ले चलते है आपको भूतकाल में ।
आज हम आपको एक ऐसे युवक की कहानी बता रहे है जिसका मानना है की अगर आपको ईश्वर को पाना है तो आपको कठोर तपस्या करने की जरुरत नहीं है बल्कि आपको समाज में रहकर लोगो के लिए एक सामाजिक जीव बनकर कार्य करना होगा । जी हां पहले के ज़माने में बड़े बड़े मुनि लोग होते थे जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या करते थे । अन्ना भी शुरू से ही बहुत धार्मिक प्रकृति के रहे है , धार्मिक कार्यो में उनकी रूचि भी अत्यधिक रही है ।
देव नगरी नाशिक शहर के नाशिक रोड में एक लक्ष्य प्रेरित युवक रहता था जिसका लक्ष्य लोगो की मदद करना था । इसी में इन्होने सपना देखा एक दिव्य मंदिर बनाने का ताकि लोगो को आद्यत्मिक्ता से जोड़ा जा सके . बहुत कम उम्र में ही ये इनका सपना था और दोस्तों और परिवार की मदद से इन्होने नाशिक रोड के शिकडे वाड़ी इलाके में 2010 में बालाजी का एक भव्य मंदिर का निर्माण भी किया और इस तरह से अपने सपने को साकार किया ताकि लोगो में धार्मिक प्रवृति का विकास हो और अन्ना तो वैसे भी थे ही धार्मिक प्रवृति के , बचपन से ही उनके ऊपर ईश्वर की कृपा रही है ।
इस मंदिर के निर्माण के लिए उन्होंने हमेशा अपनी जेब खुली रखी । दूसरे समुदाय के लोगो ने बहुत ही विरोध भी किया परन्तु इन्होने इन सब की परवाह किये बगैर 2010 में बालाजी का भव्य मंदिर बनवा दिया और इस तरह से अपने लक्ष्य के प्रति जो जूनून था उसको एक साकार रूप दिया । इस मंदिर के निर्माण के पश्चात् वहां के लोगो में भी धार्मिक भावनाओ के प्रति वृद्धि हुई और बहुत लोग श्रद्धा से बालाजी मदिर आने लगे । इस मंदिर से लोग धीरे धीरे भावनात्मक रूप से जुड़ गए ।
किन्तु कुछ ही समय बाद अन्ना के ऊपर फिर से भारी समस्या आगयी किन्ही कारणों की वजह से पोलिटिकल इशू के चलते हुए कुछ लोगो ने मंदिर को टारगेट कर दिया और इस तरह विपक्षियों द्वारा मंदिर को तोड़ने का आदेश दिलवाया गया और अब बात मंदिर के टूटने की आगयी । अब अन्ना काफी टूट चुके थे काफी संघर्ष करने के बाद भी वो मंदिर को नहीं बचा पाए । हर एक श्रध्दालु जो मंदिर से जुड़ा हुआ था उस समय सबकी आँखे नम हो गयी जब जे सी बी द्वारा मंदिर को तोडा गया । अन्ना भी मन ही मन बहुत रोये होंगे क्यूंकि ये उनका सपना टूट रहा था और उनका मंदिर से बहुत ज्यादा धार्मिक लगाव था साथ ही भावनात्मक लगाव भी । अन्ना ने मंदिर की एक एक ईंट को गिरते हुए अपनी आँखों से देखा । ये दिन देखने वालो के लिए और सिकड़े वाड़ी के प्रत्येक युवा और नागरिक के जीवन में ” काला दिन ” के जैसे माना जाने लगा ।
मंदिर टूटने के साथ ही अन्ना का दिल भी अंदर से टूट चूका था परन्तु फिर भी उस मंदिर की मूर्ति को वो अपने घर ले गए और विधिवत रूप से मूर्ति को अपने घर में रखा । मंदिर टूटने का दुःख इतना ज्यादा था की अन्ना को इससे उबरने में काफी समय लग गया । परन्तु अन्ना कहां हार मानने वाले है, वो तो है ही जिद्दी स्वभाव के अपने सपने के टूटने के बाद भी उन्होंने फिर से उसी सपने को साकार करने की ठानी और सभी मुसीबतो का सामना करते हुए अपने परिवार और दोस्तों की मदद से फिर से उसी जगह मंदिर निर्माण करने का लक्ष्य बनाया और अन्ना ने फिर रात दिन एक करके अपने लक्ष्य को पाने के लिए सारी मुसीबतो का सामना किया और अंततः अन्ना ने दोबारा से मंदिर बनवाया ।
और 23 अप्रैल 2024से 26 अप्रैल 2024 तक बालाजी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम रखा गया है जो की बहुत ही भव्य तरीके से किया जा रहा है ।
निष्कर्ष : सपना देखना सबको अच्छा लगता है किन्तु कुछ ही साहसी लोग होते है जो अपने सपने को साकार बनाते है और अन्ना उर्फ़ कैलाश मुदलियार भी वो एक साहसी व्यक्ति है जिन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए डटे रहे है लोगो की परवाह किये बिना आगे बढ़ते रहे । समस्या इनके जीवन में बहुत आयी किन्तु कहते है न अगर अपना सपना पूरा करना है तो हमें लगे रहना होगा बिना किसी की परवाह किये तभी आपका सपना पूरा हो सकता है ।
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