International women’s day? : जब एक औरत ही औरत की दुश्मन है तो फिर ये celebration क्यों ?
बहुत समय से सोच रही थी ऐसा आर्टिकल लिखने के लिए जो विमेंस के ऊपर हो । तो इंटरनेशनल वीमेन डे आने वाला है तो लिख ही दिया । चलिए मैं आप सब से ये जानना चाहती हु की हम सब जो हर साल विमेंस डे मानते है क्या इससे महिलाओ की स्थिति में वाकई में सुधार होता है या केवल 8 मार्च आता है सब सेलिब्रेशन होते है VIP , CELEBRATIES ,SERVICE CLASS WOMAN जो आलरेडी सक्षम है वो ही इस दिन को सेलिब्रेट करते है और बहुत बड़ी बड़ी बाते भी करते है । इस दिन महिलाओ के अधिकारों के बारे में बताया जाता है , उनको उनकी शक्तिया बताई जाती है पर क्यों ?
महिलाओ को स्ट्रांग बनाने के लिए क्या एक दिन काफी है ? या इस एक दिन में सभी महिलाओ के अंदर वो ताकत आजाती है जो की 364 दिन नहीं आ पाती । मैं आपको सीधे टॉपिक पर लेकर चलती हु बहुत ध्यान से मेरी बात को गौर करे —- अगर आप एक महिला है और आप महिलाओ की शक्तियों , उनके अधिकारों , उनकी आत्मनिर्भरता के ऊपर बात कर रही है तो सबसे पहले आप अपने सबसे करीबी महिला को सपोर्ट करे ।
आप अधिकारों की बाते करने जा रही है बाहर सेलिब्रेशन में और आपकी करीबी महिला जिसको जरूरत है आपके सपोर्ट की उसको इग्नोर कर रही हो तो ये कौनसा वीमेन डे सेलिब्रेशन हुआ । अगर आप सच में किसी महिला एम्पावरमेंट को बढ़ावा देना चाहती है तो वाकई में उस महिला का साथ दीजिये जिसे आपकी जरुरत है मत बनिए आप महिला होकर किसी महिला की दुश्मन ।
” हे स्त्री मत बन तू किसी पुरुष की जिंदगी में दूसरी औरत ,
जो चीन ले उसकी पहली औरत की सारी खुशिया ।। ”
100 में से 50 मामले ऐसे है जिसमे एक दूसरी औरत आकर एक बसी बसै गृह्श्थी को बर्बाद करे एक औरत की जिंदगी को हमेशा के लिए बेरंग कर देती है ।
” हे स्त्री मत बन तू इतनी ईर्षालु की
की तू एक औरत की तरक्की न देख सके ।।”
जैसे – जैसे जमाना बदलता है तो परिस्थितिया भी बदल जाती है परन्तु क्या एक औरत जब भी थोड़ा आगे बढे , उसकी लाइफ की ख़ास औरत ही उससे ईर्षा करने लगती है और ऐसी आग लगा देती है की जो आगे बढ़ रही है उसके कदम पीछे खींच लिए जाते है । तो बताइये क्या आप एक औरत होकर औरत की दुश्मन नहीं बन रही हो ।
” हे स्त्री मत बाँध किसी औरत के पैरो में वो बेड़िया ,
जो तू अपनी बेटी के लिए नहीं बांधना चाहती ।।”
ये भी एक बहुत ही सोचने वाली बात है आज भी हमारे समाज में ऐसी औरते मौजूद है जो अपनी बेटियों के लिए एक अच्छी और खुली लाइफ की सोच रखती है किन्तु जब बात बहु की आती है तो उसे रिश्तो की बेड़िया थमा दी जाती है और ये ही वो औरते होती है जो दुसरो के समाने बड़ी बड़ी बाते करती है ।
” हे स्त्री एक तू ही है जो दूसरी स्त्री को उठा सकती है डूबने से ,
बेटे को अच्छे संस्कार देकर एक अच्छी बहु , सास , ननद , भाभी बनकर ,
और एक अच्छी साथी बनकर ।।”
” तू वो ताकत है जिसका तुझको ज्ञान नहीं ,
तू रख अपना आँचल इतना बड़ा की कोई भी ,
स्त्री तेरे पास आये तो कभी न जाए निराश होकर ।”
निष्कर्ष : भले ही हमारा समाज एक पुरुष प्रधान समाज है परन्तु फिर भी एक औरत को हमेशा गिराने का काम एक औरत ने ही किया है । जो हम विमेंस डे सेलिब्रेशन मना रहे है क्या वाकई में हमरा उद्देश्य पूरा हो रहा है नहीं न । फिर भी महिलाओ की स्थिति दयनीय है क्यों ? क्युकी हर महिला को आगे बढ़ने से पहके उसे रोका हमेशा दूसरी महिला ने ही । अगर आस पास की हमारे घर की महिलये भी एक दूसरे को सपोर्ट करे तो शायद हर महिला अपने आप को स्ट्रांग बना सकती है । तो आज से हम सब को ये सोचने की जरुरत है की क्या हम एक महिला के किरदार में सही से फिट हो रहे है या नहीं । हमें आवश्यकता है महिला के किरदार में फिट होकर अन्य महिला को सपोर्ट करने की ।
धन्यवाद
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