arvind kejriwal: एक आम आदमी से मुख्यमंत्री तक का सफर

newstarang24.com
8 Min Read
WhatsApp channel Join Now
Telegram channel Join Now

arvind kejriwal: एक ऐसा शख्स जो एक बहुत ही आम व्यक्ति था । आप पार्टी ज्वाइन करने के बाद इतना पॉपुलर हुआ की दिल्ली जैसे राज्य का चीफ मिनिस्टर बन गया और अभी उसको दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है ।

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से अरविन्द केजरीवाल के बारे में विस्तार से जानेंगे की कैसे वो एक आम आदमी से मुख्य मंत्री तक का सफर तय किया । भारतीय राजनितिक में एक ऐसा नाम जो हमेशा से ही चर्चा में रहता है । एक बिलकुल साधारण से इंसान अरविन्द केजरीवाल ने कैसे पुरे राजनितिक दुनिया में अपने दृढ़ता से क्रांति ला दी । ये दिल्ली के 7 वे मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जो की कार्यकर्त्ता अन्ना हज़ारे के साथ जान लोकपाल विधेयक के बाद इतने प्रसिद्ध हो गए की घर घर में लोग इनको जानने लगे । आपको जानकर हैरानी होगी की अरविन्द केजरीवाल राजनितिक में आने से पहले टाटा स्टील में काम करते थे । और नई दिल्ली में आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके है ।arvind kejriwal: एक आम आदमी से मुख्यमंत्री तक का सफर

अरविन्द केजरीवाल : जीवन और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा :

अरविन्द केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त  1968 को हरियाणा के सिवानी में एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था । उनके पिताजी का नाम गोविन्द राम केजरीवाल है  जो की इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर थे । इनकी माताजी का नाम गीता देवी है । अरविन्द  केजरीवाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा हिसार से प्राप्त की थी 1985 में अरविन्द केजरीवाल ने IIT – JEE परीक्षा उत्तीर्ण की और 563 की रैंक लेकर आये । इसके बाद उन्होंने मेकेनिक इंजीनियरिंग में IIT  से स्नातक की उपाधि प्राप्त की . इसके बाद इन्होने नौकरी करते हुए सिविल सेवा की तैयारी  करने लगे और इन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी और 1992 में सिविल सर्विस की तैयारी में सीरियसली लग गए ।

अरविन्द केजरीवाल : सिविल सेवा :

1995 में अरविन्द केजरीवाल ने सिविल सेवा की परीक्षा पास करने के बाद भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हो गए । उन्होंने आयकर विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दी । सिविल सेवा में रहते हुए भी उनके साथ बहुत कम्प्लीकेशन आये । उनको उच्च शिक्षा के लिए 2 साल की छुटिया चाहिए थी तो अरविन्द केजरीवाल ने सवैतनिक 2 साल की छूटी के लिए आवेदन किया हालांकि 2002 में उन्होंने फिर से कार्यालय ज्वाइन किया और इस दौरान उनको वेतन भी मिला . अब केजरीवाल ने बिना वेतन के 18 महीने की छुट्टी के लिए आवेदन किया जो उन्हें दे दी गयी ।

2006 में अपनी सिविल सेवा से अरविन्द केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया , हालांकि भारत सर्कार का दावा था की उन्होंने 3 साल तक काम न करके 2000 में हुए समझौते का उल्लंघन  किया । इस तरह उन पर फाइन लगाया गया और अरविन्द केजरीवाल ने 2011 में अपने दोस्तों के हेल्प से सर्कार को बकाया राशि के रूप में 927,787 रुपये का भुगतान किया ।

अरविन्द केजरीवाल: सामान्य कार्यकर्त्ता से मुख्य कार्यकर्त्ता तक

1999 में अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ एक परिवर्तन  नामक आंदोलन शुरू किया । इस आंदोलन में सामाजिक कार्य , सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं , आयकर और बिजली विभाग से सम्बंधित आम जनता की शिकायतों को सम्बोधित कर उसका समाधान पर कार्य करते थे । यह आंदोलन व्यक्तियों द्वारा दिए गए दान पर चलता था ।

2002 में परिवर्तन द्वारा  सार्वजानिक परियोजना में 7 मिलियन की हेरा फेरी का खुलासा किया ।

2003 में परिवर्तन ने PDS  घोटाले का पर्दाफास किया जहाँ पर राशन की दुकानों और के डीलर अधिकारियो ने सब्सिडी वाले खाद्यान्नों में हेरा फेरी की थी ।

2004 में परिवर्तन ने RTI के माध्यम से जल आपूर्ति की रिपोर्ट प्राप्त की और सर्कार द्वारा भरी खर्चो पर सवाल उठाये , और इन परियोजनाओं पर रोक लगवा दी गयी जनकल्याण के लिए ।

परिवर्तन ने कोर्ट के फैसले का का भी नेतृत्व किया जिसमे निजी स्कूल जो की सार्वजानिक भूमि पर बनी है , वहां पर 700 से अधिक गरीब बच्चो को मुफ्त में प्रवेश देना होगा ।

अरविन्द केजरीवाल ने अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओ – अन्ना हज़ारे  , शेखर सिंह  आदि के साथ मिलकर एक अभियान चलाया जो की राष्ट्रव्यापी RTI अधिनियम के लिए था । जो की 2005 में लागु हुआ । यही से अरविन्द केजरीवाल का उभरता हुआ नेतृत्व सामने आया और 2006 में परिवर्तन के लिए रेमैन मेग्सेस पुरुस्कार से सम्मानित किया गया ।

2006 में इसी पुरुस्कार की राशि से पब्लिक कॉज रिसर्च फोडेशन की स्थापना की गयी और राशि दान में दे दी गयी ।

2010 में अरविन्द केजरीवाल ने राष्ट्रमंडल में खेलो में हो रहा भ्रष्टाचार का विरोध किया ।

अरविन्द केजरीवाल ने केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोक आयुक्त की नियुक्तियों के लिए आगे रहकर वकालत भी की ।

2011 में अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना हज़ारे और अपनी टीम के साथ मिलकर जान लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग की और इसी के तहत इंडिया अगेनस्ट कर्रेप्शन ग्रुप IAC का गठन किया । 2011 में ही यह  भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के रूप में विकसित हुआ । इसी बीच सर्कार ने एक लोकपाल विधेयक का मौसादा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई जिसमे अरविन्द केजरीवाल मुख्य प्रतिनिधि  के रूप में थे । यहाँ पर केजरीवाल ने आरोप लगाया की समिति के लोग प्रतिनिधि कार्यकर्त्ता के सिफारिशों को नज़र अंदाज कर रहे है और तानाशाही का माहौल चला रहे है । बाद में   प्रकार आना हज़ारे ने भूक हड़ताल भी की और अरविन्द केजरीवाल सहित उनके साथियो को गिरफ्तार भी कर लिया गया । यहाँ पर भी अरविन्द केजरीवाल की भूमिका महत्वपूर्ण रही ।

2011 में सरकार और कार्यकर्ताओ के बीच समझौता हुआ ।

अरविन्द केजरीवाल : मुख्यमंत्री

27 दिसंबर 2013 से 14 फ़रवरी 2014 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए अरविन्द केजरीवाल लगातार सुर्खियों में बने रहे । मुख्य मंत्री नमन्ते ही उन्होंने सबसे पहले बिजली की डरो में 50 % की कटौती की घोषणा की । और इस प्रकार अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में जान कल्याण को ध्यान में राखंते हुए कार्य करने लगे इस प्रकार अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत है ।

अरविन्द केजरीवाल : शराब घोटाला

अभी हाल ही में अरविन्द केजरीवाल जी को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एड द्वारा अरविन्द केजरीवाल को गुरुवार रात 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया ।

Share This Article
Follow:
Hello friends, My name is Ganga Soni, I have been into blogging for a long time. This is my news blog, under this I post only that news which is true, apart from this there are blogs written by me on other topics also. Thank you
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *