Restitution Of Conjugal Rights?क्या सेक्शन 9 से वाकई में आपकी बीवी लौट आएगी ?

newstarang24.com
5 Min Read
WhatsApp channel Join Now
Telegram channel Join Now

Restitution Of Conjugal Rights?क्या सेक्शन 9 से वाकई में आपकी बीवी लौट आएगीशादी का बंधन जन्मजन्मोत्तर   का बंधन मन जाता है । और भारत देश में तो विवाह को एक बहुत ही पवित्र  संस्कार माना जाता है शादी को दो आत्माओ , दो शरीर का मिलन माना जाता है साथ ही शादी दो परिवारों को जोड़ती है । यहाँ  शादी का बहुत महत्त्व है  परन्तु किन्ही कारणों की वजह से आजकल शादिया टूट रही है

शादी और परिवार को टूटने से रोकने के लिए । हमारे संविधान के अंतर्गत  कानून बनाये गए है और हिन्दू मैरिज एक्ट भी एक ऐसा कानून है जो संविधान के अंतर्गत आता है जब पति पत्नी में किसी बात को लेकर कोई लड़ाई हो जाये या कोई मिस अंडरस्टैंडिंग हो जाये या बिना किसी कारण के एक पक्षकार दूसरे पक्षकार को छोड़कर चला जाये तो हमारे देश में शादी और परिवार को टूटने से बचाने के लिए हिन्दू मैरिज एक्ट में प्रावधान मौजूद है.

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के Chapter III की धारा 9 में वैवाहिक अधिकारों की बहाली (Restitution of conjugal rights) के बारे में बताया गया है. अगर पति और पत्नी में से कोई एक दूसरे को बिना बोले या बिना ठोस कारण के छोड़ के चला जाए या दूसरे के समाज से हट जाए तो उन दोनों में से कोई भी हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 9 के अंतर्गत रेस्टिटूशन ओफ़ कोनजुगल राइट्स का इस्तेमाल करते हुए जिला न्यायालय (District Court) में याचिका दायर कर सकता हैं.

सेक्शन 9 का महत्तवपूर्ण उद्देश्य यही है की जो पक्षकार ऐसे बिना किसी कारण के , बिना  कुछ बताये अन्य पक्षकार को छोड़ देता है तो पीड़ित पक्षकार ऐसे अपने पार्टनर को वापस बुलाने , उसके  साथ रहने के लिए इस कानून का उपयोग कर सकते है और इसके  लिए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट  में एप्लीकेशन लगा सकते है और इस तरह कोर्ट द्वारा उस पक्षकार को नोटिस भेजेगा जो ऐसे बिना कारण बताये छोड़ के चला गया है ।

Restitution of conjugal rights  किसके  लिए है :

यह अधिकार महिला और पुरुष दोनों को दिए गए है दोनों में से कोई भी पीड़ित हो सकता है तो जो कोई भी महिला या पुरुष जो पीड़ित है अपने इस अधिकार का प्रयोग करके अपने पार्टनर  को रहने अपने साथ बुला सकते है ।

 Restitution of conjugal rights  सहवासिक अधिकार की पुनर्स्थापना एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें एक पीड़ित  व्यक्ति अपने साथी को अपने साथ जीने के लिए अदालत में बुलाता है। यह एक प्रयास है कि विवाहित जीवन को बनाए रखा जाए। अदालत इसके आधार पर फैसला करती है कि क्या पति या पत्नी को अपना सहवासिक अधिकार वापस प्राप्त किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया का उद्देश्य संबंधों को सुधारना और विवाहित जीवन को सम्बद्ध बनाए रखना है

कोर्ट के द्वारा यह फैसला, विवाहित या विवाहिता के स्थिति, सामाजिक परिवेश, और अन्य दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत, अदालत बारीकी से विचार करती है कि क्या पति या पत्नी काRestitution of conjugal rights  सहवासिक अधिकार उन्हें वापस प्राप्त किया जाना चाहिए या नहीं ।

Restitution of conjugal rights section9 और सामाजिक अवधारणा:
क्याsection 9 का नोटिस अगर पFree Couple Together photo and pictureक्षकार को मिल जाता है , उसके  बाद कोर्ट में उपस्थित होकर  क्या इस समस्या का सलूशन निकल जाता है । कानून अपनी जगह सही है परन्तु पक्षकार अगर इस फैसले से राजी नहीं है तो वो अपने पार्टनर पर और कोई blame लगा देते है जिसके कारण जहा रिश्ता सुलझने वाला होता है वह रिश्ता और ज्यादा बिगड़ जाता है मतलब सेक्शन 9 जो की सहवासिक अधिकार की पुनर्स्थापना के बारे में है  परन्तु इस सेक्शन के बावजूद भी पक्षकारो में तलाक हो जाता है ।     

निष्कर्ष : यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे पति पत्नी का साथ बनाये रखते है । और संबंधों को सुधारने का माध्यम है। यह एक ऐसा प्रयास है जो पति और पत्नी को पुनः एक-दूसरे के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है और उनकी समस्याओं का हल ढूंढने का प्रयास करता है।

 

 

Share This Article
Follow:
Hello friends, My name is Ganga Soni, I have been into blogging for a long time. This is my news blog, under this I post only that news which is true, apart from this there are blogs written by me on other topics also. Thank you
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *