Marriage Dissolution: article 142 supreme court power जब एक पक्षकार तलाक लेना  चाहे और दूसरा नहीं तो ऐसी परिस्थियों में क्या तलाक ले सकते है ?

newstarang24.com
5 Min Read
यदि एक पक्षकार divorce लेना चाहता है किन्तु दूसरा पक्षकार नहीं देना चाहता तो भी सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 के अंतर्गत divorce के लिए निर्णय दे सकता है .
WhatsApp channel Join Now
Telegram channel Join Now

Table of Contents

Supreme Court Verdict On Marriage Dissolution : यदि एक पक्षकार डाइवोर्स लेना चाहता है किन्तु दूसरा पक्षकार नहीं देना चाहता तो भी सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 के अंतर्गत परिस्थितियों को देखते  हुए SC  डाइवोर्स के लिए निर्णय दे सकता है . 

हिन्दू मैरिज एक्ट 1956 के अंतर्गत विवाह और तलाक के प्रावधान दिए गए है । इसमें तलाक के प्रावधान दो प्रकार के है –

Contents
Supreme Court Verdict On Marriage Dissolution : यदि एक पक्षकार डाइवोर्स लेना चाहता है किन्तु दूसरा पक्षकार नहीं देना चाहता तो भी सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 के अंतर्गत परिस्थितियों को देखते  हुए SC  डाइवोर्स के लिए निर्णय दे सकता है . जब एक पक्षकार तलाक लेना  चाहे और दूसरा नहीं तो ऐसी परिस्थियों में क्या तलाक ले सकते है ?आर्टिकल 142 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ऐसे विवाह को समाप्त करने के आदेश दे सकता है —                  पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी सर्वव्यापी शक्तियों का प्रयोग विवाह को समाप्त करने के लिए तभी कर सकता है जब वह किसी विशेष मामले के निर्विवाद तथ्यों पर संतुष्ट हो कि वैवाहिक गठबंधन पूरी तरह से अव्यवहारिक, भावनात्मक रूप से मृत और मोक्ष से परे हो गया है ।
  1. एक पक्षीय तलाक :  एक तरफा तलाक की स्थिति में पति या पत्नी में से किसी एक के द्वारा न्यायालय के समक्ष तलाक की याचिका दायर की जाती है। और इस याचिका में वो आधार लिखे जाते है जिसके आधार पर आप एकतरफा तलाक लेना चाहते है आपको यह साबित भी करना होता है की आप जो आधार बता रहे है वो सच है मतलब आपको साबुत भी पेश करने होते है .हालांकि एक तरफा तलाक की प्रक्रिया अन्य दूसरी तलाक की प्रक्रियाओं की अपेक्षा जटिल और लंबी होती है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक तरफा तलाक लेने के लिए कुछ विशेष कारणों का होना भी बहुत ज़रूरी है। ये 8 आधार है जिनके कारण एक पक्षीय तलाक हो सकता है —one side divorce
  1. व्यभिचारी या एडलट्री :
  2. क्रूरता
  3. दो वर्षो से अलग अलग रह रहे हो
  4. धर्म परिवर्तन करवाना या दबाव डालना 
  5. सन्यास ले लेना
  6. गुमशुदी होना
  7. गंभीर शारीरिक या मानसिक रोग
  8. नपुसंगता

2./ आपसी सहमति से तलाक:  जहा दोनों पक्षकार एक दूसरे के साथ नहीं रहना कहते और दोनों की इच्छा है तलाक देने की तो आपसी सहमति के द्वारा दोनों ही पक्षकार एक दूसरे से तलाक ले सकतव है अगर तलाक आपसी सहमति से लिया जाये तो यह प्रक्रिया बहुत ही सरल बन जाती है । आपसी सहमति से तलाक  एक उत्तरदायी, शांतिपूर्ण और सुलभ प्रक्रिया बन जाता है। सहमति से तलाक एक विवाहित जोड़े के बीच संवाद और सहमति का परिणाम होता है, जिससे उन्हें एक-दूसरे के साथ विचार-विमर्श करने का मौका मिलता है और वे शांतिपूर्ण रूप से अलग हो सकते हैं।

जब एक पक्षकार तलाक लेना  चाहे और दूसरा नहीं तो ऐसी परिस्थियों में क्या तलाक ले सकते है ?

ये समस्या बहुत सारे मामलो में आती है की बहुत लम्बे समय से केस कोर्ट में पेंडिंग चल रहे है और परिस्थितिया  ऐसी है की दोनों साथ में नहीं रह सकते किन्तु एक पक्षकार तलाक नहीं लेना चाहता और दूसरा पक्षकार तलाक चाहता है तो ऐसी कंडीशन में क्या किया जाये ?

आर्टिकल 142 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ऐसे विवाह को समाप्त करने के आदेश दे सकता है —

ऐसे विवाह जिसमे साथ रहने का कोई कारण ही नहीं बचा , जिसे लम्बे समय तक खींचना कोई मतलब वाली बात नहीं है और सुलह की कोई भी गुंजाइश नहीं बची है ऐसे मामलो में  देश की शीर्ष अदालत में  तलाक के एक मामले हुई सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाया गया है। अब कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले के बाद इन आधार पर तलाक हो सकेंगे। इस बारे में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संवैधानिक बेंच की ओर से अहम फैसला सुनाया गया है। अब आर्टिकल 142 की पावर का इस्तेमाल कर तलाक लेने वालों को 6 महीने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

                  पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी सर्वव्यापी शक्तियों का प्रयोग विवाह को समाप्त करने के लिए तभी कर सकता है जब वह किसी विशेष मामले के निर्विवाद तथ्यों पर संतुष्ट हो कि वैवाहिक गठबंधन पूरी तरह से अव्यवहारिक, भावनात्मक रूप से मृत और मोक्ष से परे हो गया है ।

अब अगर कोई ऐसा मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आता है जिसके अंतर्गत लम्बे समय से पति पत्नी अलग अलग रह रहे है और दोनों में भावनात्मक रिश्ता ख़त्म हो चूका है । दोनों के बीच सुलह की कोई गुंजाईश नहीं बची  है तो सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामले को फॅमिली कोर्ट  में ट्रांसफर किये  बिना खुद ही निर्णय दे  सकता है की ऐसे केस की सभी परिस्थितियों को ध्यान में  रखते हुए  विवाह को समाप्त करना चाहिए या नहीं ।

Share This Article
Follow:
Hello friends, My name is Ganga Soni, I have been into blogging for a long time. This is my news blog, under this I post only that news which is true, apart from this there are blogs written by me on other topics also. Thank you
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *